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meine Texte hansgamma.blogspot.com
Montag, 10. September 2012
फूलों की सुगंध
मेरी आत्मा की छाया
भीषण के प्रति वफादारी
मेरी प्रार्थना की बैठक जघन
भूल गया विस्थापित विफलता
मिट्टी द्वेष के अंकुरण
मैं अपने बदल रहा हूँ
फूलों की सुगंध सिर्फ जानने के प्यार
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