weisseis
meine Texte hansgamma.blogspot.com
Dienstag, 18. September 2012
भजन ध्वनि घड़ी याद किया
भजन ध्वनि घड़ी याद किया
हॉल में चुप्पी शरमा
कोई दंडात्मक दृश्य
क्या मेरी आवाज के साथ करने के लिए
शहर से बाहर घर
जम भय बढ़ता है, ध्वनि
मेरी त्वचा पर मेरे अंदर
मुझे याद नहीं है जहां जहां जारी रखने के लिए
Keine Kommentare:
Kommentar veröffentlichen
Neuerer Post
Älterer Post
Startseite
Abonnieren
Kommentare zum Post (Atom)
Keine Kommentare:
Kommentar veröffentlichen