Samstag, 16. August 2025

गौरव

 कविता शब्द है, व्यक्ति से व्यक्ति तक। लोगों को शब्दों को नहीं पीना चाहिए, और मैं उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित भी नहीं करूँगा।
मैंने सुना है कि आजकल कवि बहुत घमंडी हो गए हैं।
अपने मन को उस स्थान पर ले जाइये जहां आत्मा का तूफान उठा था।

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