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meine Texte hansgamma.blogspot.com
Donnerstag, 6. September 2012
मेरे आत्म
रिच ज्ञान
मुझे दु: ख दे
मेरी सलाह के बाद
मेरे लिए उसे वापस देता है
पतित बेघर
अपने स्वार्थ के लिए
मेरी धोखा दे
क्यों मैं विश्वास नहीं
मेरे आत्म
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